जहां हम रहते हैं जरूरी है कि वहां सुकून-शांति हो। शहर में अच्छी, सुंदर जगहें देखकर प्लॉट लेते हैं, जहां रहने में कोई समस्या न हो, लेकिन कभी-कभी ऐसा नहीं होता इसकी कई वजहें हो सकती हैं। जैसे अविकसित कालोनी, असुरक्षा, प्रदूषण।
सिटी टुडे। ग्वालियर शहर में ऐसी कथित पॉश कालोनियों में जिन लोगों ने प्लाट खरीदे हैं, वह अब मकान बनाने से कतरा रहे हैं। जिसकी वजह से कालोनियों में प्लाट खाली पड़े हुए हैं। इतना ही नहीं अब वह प्लाट बेचना चाह रहे हैं तो दाम भी अधिक नहीं मिल रहे हैं। ऐसी ही है ब्लू लोटस हिल कालोनी जो शहर की कथित पाश कालोनियों में शामिल हैं।
पॉश कालोनी में महंगे दामों में प्लाट लोग इसलिए खरीदते हैं जिससे वह साफ सुथरे वातावरण में रह सकें। कालोनी निवासी सेवानिवृत शिक्षक अवधेश त्रिपाठी ने बताया कि ब्लू लोटस हिल कालोनी में मूल भूत सुविधा जैसे सड़क, सीवर, स्ट्रीट लाइट्स, अविकसित पार्क जैसी समस्या बनी रहती है। जबकि कालोनी में सीवर के पानी से गंदगी के साथ ही दुर्गंध भी फैलती है तो वहीं सड़कों पर चंबल की भरकों जैसे धूल का गुबार उड़ता है। आए दिन चोरी की वारदातें भी सर्वाधिक होती रहती हैं। यही नहीं गेट बंद कालोनी का वायदा कर महज गेट बनाकर खड़ा कर देने के बाद पलड़ा झाड़ चुके है कालोनाइजर। मेन गेट से भैंस बकरी लेकर चराने आते है चरवाहे यही नहीं चोरों की आवाजाही भी बेफिक्र इसी मुख्य द्वार से होती है क्योंकि कालोनाइजर ने गेट बंद कालोनी का वायदा तो किया था लेकिन ये कालोनी कभी भी गेट बंद कालोनी नहीं बनाई गई बल्कि कालोनी के तय नक्शे पर दिखने वाले पार्कों में से 6 पार्क कालोनी से गायब कर रजिस्ट्रार कार्यालय के जिम्मेदार लोगों संग मिलीभगत से प्लाट काटकर बेचे जा चुके हैं जिसकी जांच की जानी चाहिए।
हालत ये है कि इन कालोनियों की हालत अब 90 के दशक के गांव जैसी हो चुकी है क्योंकि आजकल तो गांव में भी पक्की सड़के बिछाई जा चुकी ही। इसी वजह से लोग यहां प्लाट लेने के बाद भी मकान बनाने से कतरा रहे हैं। प्लाट खरीदकर फंसे लोग अब बेचना चाहते हैं तो मुश्किल यह है कि खरीदार पहले आसपास का माहौल देखते हैं और यहां अव्यवस्था और गंदगी का आलम देख लोग प्लाट खरीदने से बचते हैं।
ब्लू लोटस कालोनी वासियों ने अपनी मूलभूत सुविधाओं के आभाव से जुड़ी प्रमुख समस्याओं से अब मप्र मुख्यमंत्री से आग्रह किया है।
वह पार्क जो नक्शे में तो है परन्तु मौके से गायब कर दिए गए हैं
इतना ही नहीं एक ही प्लाट की कई कई बार रजिस्ट्री किए जाने के मामले उजागर भी हो चुके है।