
ग्वालियर (डबरा) | 8 साल पहले अपने घर-परिवार से बिछड़े तुलाराम अहिरवार का उनकी मां से भावुक मिलन हुआ। उन्हें घर लौटाने में SDM डबरा दिव्यांशु चौधरी, तहसीलदार डबरा दिव्य दर्शन शर्मा और आधार प्रबंधक नीरज शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। प्रशासन के इन प्रयासों से एक मां का वर्षों से खोया बेटा उसकी गोद में लौट आया।
- बीमारी में मिला था सहारा, पर नहीं था घर का पता
तुलाराम अहिरवार को 8 साल पहले सिविल हॉस्पिटल, गुना से बीमार हालत में प्रभुजी सेवा आश्रम के सेवादार मनीष पांडे ने रेस्क्यू किया था। उस समय वे कुछ बोलने में असमर्थ थे, जिससे उनके परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई। वर्षों तक वे आश्रम में रहे।
आधार से खुला पहचान का राज
हाल ही में SDM डबरा दिव्यांशु चौधरी ने प्रभुजी सेवा आश्रम में रहने वाले लोगों के आधार कार्ड बनवाने की पहल की। जब तुलाराम के फिंगरप्रिंट से आधार अपडेट करने की कोशिश की गई, तो उनका आवेदन अस्वीकार हो गया। आधार समन्वयक नीरज शर्मा ने जब उनकी आधार डिटेल निकाली, तो चौंकाने वाला सच सामने आया—तुलाराम पहले से ही आधार में पंजीकृत थे और उनका घर ग्राम मोहनपुर, तहसील चंदेरी, जिला अशोकनगर में था।
*परिवार ने खो दी थी आस
जब यह जानकारी तहसीलदार अशोकनगर दीपक शुक्ला तक पहुंची, तो उन्होंने तुलाराम के परिवार से संपर्क किया। जैसे ही परिवार को पता चला कि उनका बेटा जिंदा है, वे खुशी से फूले नहीं समाए। चंदेरी में बने एक डैम के पास तुलाराम के लापता होने के बाद परिवार को लगा था कि उनकी बलि दे दी गई होगी। वर्षों से बेटे को मरा समझ चुकी मां ने जब सुना कि तुलाराम सुरक्षित हैं, तो उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े।
*प्रशासन की पहल से संभव हुआ मिलन
इस पूरे मामले में SDM डबरा दिव्यांशु चौधरी की पहल और स्थानीय प्रशासन की सक्रियता ने एक परिवार को फिर से जोड़ा। अगर प्रभुजी सेवा आश्रम और प्रशासन की यह पहल न होती, तो शायद तुलाराम आज भी अपनों से दूर रहता।
- समाज के लिए सीख
यह घटना बताती है कि सही तकनीक, प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सेवा भाव से असंभव लगने वाली चीजें भी संभव हो सकती हैं। यह न केवल प्रशासन की सफलता की कहानी है, बल्कि समाज के लिए भी एक संदेश है कि खोए हुए अपनों को तलाशने में आधुनिक तकनीक और संवेदनशील प्रयास कितने कारगर हो सकते हैं।