आगरा का एक सौ साल पुराने हेरिटेज स्टेशन आगरा सिटी पर यात्री सुविधाओं की कमी है। प्लेटफॉर्म की बेंच टूटी पड़ी हैं। घुमंतू पशु प्लेटफॉर्मों पर घूमते रहते हैं। यात्री प्रतीक्षालय का रंग-रूप भी नहीं बदल सका। दो साल पहले 76 लाख रुपये की लागत से स्टेशन का कायाकल्प शुरू किया गया था। यहां केवल एक पैदल पुल ही बन सका है।
शहर के मध्य में स्थित आगरा सिटी स्टेशन पर ट्रेनों की आवाजाही कम है। मगर, इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए रेलवे ने सितंबर 2020 में कायाकल्प की योजना बनाई थी। स्टेशन का भवन, दीवारें और यात्री प्रतीक्षालय के साथ ही पैदल पुल बनाने के कार्य होने थे। इसके साथ ही आगरा सिटी से राजा की मंडी स्टेशन की ओर जाने वाली टनल के दोनों ओर भी साफ-सफाई के कार्य किए जाने थे, लेकिन स्टेशन का स्वरूप बदलना तो दूर बदहाली और बढ़ गई। यहां पुल बना दिया गया है मगर बेंच टूटी पड़ी हैं।
यात्री प्रतीक्षालय में सुधार नहीं हुआ है और न ही दीवारों पर रंगाई-पुताई के कार्य ही किए गए हैं। लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर बंदर, कुत्ते और गोवंश का कब्जा है।
इसी तरह बिल्लोचपुरा रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म उच्चीकरण सहित अन्य कार्यों के लिए भी दो साल पहले बजट आवंटित किया गया था। यहां प्लेटफॉर्म ऊंचे हो गए। कुछ अन्य कार्य भी हुए मगर स्टेशन का यात्री प्रतीक्षालय अब भी पशुओं का अड्डा बना हुआ है।
एप्रोच रोड तक ठीक नहीं है। प्लेटफॉर्म के आसपास जलभराव रहता है। इस संबंध में वाणिज्य प्रबंधक प्रशस्ति श्रीवास्तव का कहना है कि स्टेशनों पर विकास कार्य किए जा रहे हैं। प्रगति धीमी हो सकती है। अब इनमें तेजी लाई जाएगी।
पुल की ऊंचाई बढ़ाने के लिए नहीं मिला ब्लॉक
आगरा से डबल डेकर ट्रेन के गुजरने के लिए राजा की मंडी स्टेशन के नजदीक किदवई पार्क पुल को ऊंचा उठाये जाने का कार्य किया जाना था। इसके लिए रेलवे ने किदवई पार्क पुल के ऊपर सीमेंटेड ढांचा भी बनाकर तैयार किया गया था, लेकिन अभी तक पुल को ऊंचा उठाए जाने का काम शुरू नहीं किया गया है। मदिया कटरा (दिल्ली गेट) वाले रेलवे पुल को ऊंचा उठाया जा चुका है। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि ब्लॉक नहीं मिलने के कारण काम नहीं हो सका है।