एक लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल को मिली जमानत का विरोध किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि आखिर लाइब्रेरी में एक किताब मिलने पर आप प्रिंसिपल को अरेस्ट क्यों करना चाहते हैं? क्या आप सीरियस हैं? दरअसल लॉ कॉलेज में एक किताब पाई गई थी, जिसे हिंदूफोबिक बताया गया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज हुई तो प्रिंसिपल के सामने गिरफ्तारी का खतरा पैदा हो गया और उन्हें अदालत से अग्रिम जमानत मिल गई। इस पर मध्य प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। इंदौर के गवर्नमेंट न्यू लॉ कॉलेज के रिटायर्ड प्रिंसिपल डॉ. इनामुर रहमान ने अदालत का रुख किया था और गिरफ्तारी से बचने के लिए गुहार लगाई थी।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इनामुर रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने उन्हें 16 दिसंबर को राहत दे दी थी। उसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। आज इसी मसले पर सुनवाई हुई तो मध्य प्रदेश पुलिस के तर्को से खफा सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘राज्य को कुछ गंभीर काम करने चाहिए। वह एक कॉलेज प्रिंसिपल हैं। आप उन्हें अरेस्ट क्यों करना चाहते हैं? लाइब्रेरी में एक किताब मिली है, जिसमें सांप्रदायिक प्रतिध्वनि की बात कही जा रही है। यह किताब 2014 में खरीदी गई थी और आज उन्हें अरेस्ट करने की कोशिश क्यों हो रही है? क्या आप गंभीर हैं?’
छात्र ने प्रिंसिपल पर लगाए थे क्या आरोप
इस पर मध्य प्रदेश पुलिस के वकील ने कहा कि किताब सिर्फ लाइब्रेरी मिली नहीं थी। आरोपी प्रिंसिपल उसी बुक के जरिए छात्रों को पढ़ाते थे। यह प्रिंसिपल के उस दावे से उलट है, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें पता ही नहीं था कि यह किताब लाइब्रेरी में रखी है। दरअसल प्रिंसिपल के खिलाफ LLM के स्टूडेंट ने ही एफआईआर दर्ज कराई थी। छात्र का आरोप था कि इस पुस्तक में आधारहीन तथ्य दिए गए हैं और बहुत सी बातें राष्ट्रविरोधी हैं। देश की अखंडता के खिलाफ है और सांप्रदायिक सद्भाव को भी चोट पहुंचाने वाला है।
प्रिंसिपल बोले- जब किताब खरीदी गई तब तो मैं प्रोफेसर था
इस पर प्रिंसिपल ने कहा कि यह किताब लाइब्रेरी में 2014 में आई थी। तब वह कॉलेज के प्रिंसिपल नहीं थे बल्कि प्रोफेसर थे। ऐसे में पुस्तक की खरीद को लेकर वह जिम्मेदार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले से उनका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन राजनीतिक कारणों से उन्हें फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किताब के प्रकाशन या मार्केटिंग से उनका कोई मतलब नहीं है। इसलिए उन्हें इस मामले में घसीटना गलत है और ऐसा नहीं होना चाहिए।