सिटी टुडे, भोपाल। मध्य प्रदेश कैडर के 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी को पुरुषोत्तम शर्मा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी जीत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कह दिया है कि शर्मा के खिलाफ न कोई साक्ष्य था और न कोई लिखित शिकायत। इसके बावजूद उन्हें सिर्फ एक वीडियो के आधार पर करीब ढाई साल तक सस्पेंड रखना पूरी तरह अवैध है। कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ राज्य शासन द्वारा की गई पूरी कार्रवाई को ही शून्य घोषित कर दिया है। इसके पहले शर्मा मध्य प्रदेश हाईकोर्ट से भी इस मामले में जीत हासिल कर चुके हैं। इस निर्णय के खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। साथ ही सरकार ने शर्मा को ज्वॉइन तो करा लिया है लेकिन अब तक उन्हें कोई काम आवंटित नहीं किया है। शर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान उनकी बेटी और दामाद भी उपस्थित रहेग।
गौरतलब है कि शर्मा के पत्नी से मारपीट का वीडियो वायरल होने के बाद 27 सितंबर 2020 को सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया था। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा को हाई कोर्ट से राहत मिली थी। अदालत ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसके माध्यम से बहाली को चुनौती दी गई थी। शर्मा उस समय मीडिया की सुर्खियों में थे, जब उनका अपनी पत्नी की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में वह अपनी पत्नी के साथ मारपीट करते नजर आ रहे थे। वीडियो पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार ने शर्मा को सस्पेंड कर दिया था। मई 2022 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था।
कैट ने भी दी थी राहत
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी पुरुषोत्तम शर्मा मामले में कैट यानी Central Administrative Tribunal ने पाया कि सरकार निर्धारित प्रावधानों का पालन किए बिना शर्मा के निलंबन की अवधि को लगातार बढ़ाती जा रही है। इसलिए कैट ने आईपीएस पुरुषोत्तम शर्मा को नौकरी पर बहाल करने का आदेश दिया था। इस आदेश को राज्य सरकार ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कैट के आदेश को सही पाया और राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी। इसके बाद उन्हें बहाल किया गया है।