जैसलमेर. 18 मई देश के लिये ऐतिहासिक दिन है. आज ही के दिन 48 साल पहले 18 मई 1974 को भारत ने अपने परमाणु परीक्षण धमाके (Nuclear Test) की गूंज दुनिया को सुनाई थी. इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी थी राजस्थान की वीर भूमि. राजस्थान में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित जैसलमेर जिले के पोकरण (Pokhran) में किये इस परमाणु परीक्षण से भारत ने दुनिया को अपनी ताकत दिखाकर अंचभे में डाल दिया था. उसके 24 साल बाद 1998 में भी भारत ने एक बार फिर पोकरण में परमाणु परीक्षण कर पुरानी यादों को ताजा कर दिया था.
18 मई 1974 को जैसलमेर की पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में भारत की तरफ से पहला परमाणु परीक्षण लोहारकी गांव के पास किया गया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री आयरन लेडी इंदिरा गांधी के निर्देशन में इस परमाणु परीक्षण किया गया था. यूं तो जैसलमेर देश दुनिया में अपने रेतीले धोरों, किले, हवेलियों और रंगबिरंगी लोक कला के लिये मशहूर है लेकिन पोकरण में हुये पहले परमाणु परीक्षण के बाद इसकी एक अलग पहचान बन गई.
उसके 24 साल बाद 11 और 13 मई 1998 को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में भारत ने पोकरण में ही दूसरी बार परमाणु परीक्षण कर जता दिया कि भारत अपने फैसले लेने के लिये स्वतंत्र है. वह किसी के दबाव में नहीं है. यह परमाणु परीक्षण पोकरण के खेतोलाई गांव के पास किया गया था. इससे एक बार फिर दुनियाभर की नजरें पोकरण पर टिक गई और यह चर्चा में आ गया. आज पोकरण किसी पहचान का मोहताज नहीं है. दो बार परमाणु परीक्षण किये जाने के बाद आज पोकरण की पहचान ‘परमाणु सिटी’ के रूप में कायम हो चुकी है.
परमाणु धमाकों से देश की ताकत की अनुभुति कराने वाले पोकरण इलाके के वाशिंदों को इस बात का मलाल जरुर है कि इस ऐतिहासिक पहचान के बावजूद शासन-प्रशासन की नजरें उनके क्षेत्र में इनायत नहीं हुई. 1998 में पूर्व राष्ट्रपति एवं तत्कालीन डीआरडीओ निदेशक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का यह वाक्य- ‘आई लव खेतोलाई…’आज भी यहां खेतोलाई के बाशिंदो के सीने को गर्व से चौड़ा कर देता है. लेकिन एक बेबसी उनकी आंखों से झलकती है. यह बेबसी है साधन-संसाधनों की कमी की और इलाके के विकास की.
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