सिटी टुडे, भोपाल। मध्यप्रदेश में एक समय था जब इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए डोनेशन और सिफारिश लगा करती थी फिर कुकरमुत्तों की तरह इंजीनियरिंग कॉलेज प्रकट हो गए हालांकि कुछ अच्छे कॉलेजों में आज भी एडमिशन पाना काफी मुश्किल है लेकिन कई कॉलेज ऐसे भी हैं जिसमें कोई भी स्टूडेंट एडमिशन लेना पसंद नहीं करता। हालत यह है कि इन कॉलेजों को बंद कर दिया गया। इनमें से कुछ कॉलेजों के बंद होने का कारण अलग हो सकता है लेकिन ज्यादातर कॉलेज एडमिशन न मिलने के कारण बंद हुए हैं। आइए अब बन्द हुए कॉलेजों की सीधे लिस्ट देखते हैं:-
मप्र में बंद हुए ये इंजीनियरिंग कॉलेज
- रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी जबलपुर,
- लक्ष्मी नारायण इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी ग्वालियर,
- सत्य एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी ग्रुप आफ टेक्नोलाजी भोपाल,
- विंध्य इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड साइंस जबलपुर,
- संघवी इनोवेशन एकेडमी इंदौर (संघवी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी),
- महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट इंदौर,
- स्टार अकेडमी आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट इंदौर,
- श्रीकृष्ण इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनजमेंट ग्वालियर,
- आल सेंट कालेज आफ इंजीनियरिंग भोपाल,
- कारपोरेट इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च एंड टेक्नोलाजी भोपाल,
- ग्लोबल इंजीनियरिंग कालेज रायसेन,
- कृष्णा कालेज आफ इंजीनियरिंग रीवा,
- महाराणा प्रताप कालेज आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट ग्वालियर,
- मल्होत्रा टेक्निकल रिसर्च इंस्टीट्यूट भोपाल,
- एनआरआइ कालेज आफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट ग्वालियर,
- प्रियतम इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट इंदौर,
- हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी साइंस एंड मैनेजमेंट ग्वालियर,
- ग्वालियर इंजीनियरिंग कालेज ग्वालियर,
- टेक्नो इंजीनियरिंग कालेज ग्वालियर,
- मालवा इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट ग्वालियर,
- सागर इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च टेक्नोलाजी एंड साइंस भोपाल,
- सरदार पटेल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट खरगोन,
- विद्यासागर इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी इंदौर,
- लक्ष्मी बाई साहू जी इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी जबलपुर,
- साक्षी इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड मैनेजमेंट गुना,
- ट्रुबा कालेज आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी भोपाल,
- विंध्य इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी एंड साइंस इंदौर।
कॉलेजों की बिल्डिंग थी पर टीचर्स और स्टाफ नहीं
एक मल्टीनेशनल कंपनी में टॉप पोजीशन पर जॉब कर रहे मध्य प्रदेश से पास आउट इंजीनियर आदित्य का कहना है कि, प्रॉब्लम यह नहीं है कि इंजीनियरिंग के स्टूडेंट कम हो गए हैं बल्कि प्रॉब्लम यह है कि मध्यप्रदेश में ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजों में सिर्फ बिल्डिंग होती है। क्लासरूम में पढ़ाने वाले अच्छे फीचर्स नहीं होते टेक्निकल और नॉन टेक्निकल स्टाफ भी नहीँ होता। यही कारण है कि जो स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते हैं वह मध्यप्रदेश के बाहर दूसरे राज्यों के कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं। आदित्य ने कहा कि हमने मध्य प्रदेश से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की परंतु हमारे देश में ज्यादातर स्टूडेंट्स की जॉब नहीं लगी। फिर हमें दूसरे कई कोर्स करने पड़े तब जाकर हमारी प्रोफेशनल लाइफ सेटल हो पाई है।
ग्वालियर के एक कॉलेज में कई वर्षों तक सेवा दे चुकी गरिमा सिंह ने बताया कि कॉलेज में AICTE की गाइडलाइंस के अनुसार फेकल्टी तथा नॉन फेकल्टीकी क्वालिफिकेशन होना जरूरी है लेकिन AICTE और UGC की गाइडलाइंस के अनुसार क्वालिफिकेशन के अनुरूप वेतन कोई कॉलेज नहीं देना चाहता हालात ये हैं कि नॉन फेकल्टी को किसी सफाईकर्मी के समान 15 हजार वेतन दिया जा रहा है भले ही वह पोस्टग्रेजुएट क्यों न हो इसी प्रकार फेकल्टी को अधिकतम 30 हजार जबकि फेकल्टी Ph.D क्यों न हो उसके अलावा ओवरटाइम और मानसिक उत्पीड़न का भी शिकार होना पड़ रहा है अतः बतौर गरिमा सिंह उनके कई सहकर्मियों ने भेदभाव, कम वेतन मानसिक प्रताड़ना से आकर नौकरी छोड़ दी।
अब जब शिक्षा को राजनेताओं और धन्नासेठों ने व्यापार और मैनेजमेंट ने सरकारी फंड को चारागाह ही बना लिया हो तो शिक्षा का स्तर तो गिरता ही है शिक्षा का स्तर गिरता है तो छात्र ऐसे कॉलेज में एडमिशन लेने से किनारा कर ही लेते हैं इसीलिए लगातार कई नामी कोलेज में लगातार बच्चों का एडमिशन कम होते जा रहे है जिसके लिए लापरवाह और भृष्ट प्रबंधन पूरी तरह जिम्मेदार है।