
सिटी टुडे।।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को आप रोज किसी न किसी सभा मे जनता के सामने अधिकारियों को रेत,पत्थर के अवैध उत्खनन को लेकर डांटते दिख रहे हैं। वे यह भी कहते हैं कि अगर कोई नेता इस काम मे लिप्त हो तो वे उसे भी ठीक कर दें। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की ये घोषणा शिवपुरी जिले के लिए नही है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि शिवपुरी जिले में प्रशासन,वन विभाग खनिज के अधिकारियों की नाक के नीचे ही डबिया खुटेला जैसे क्षेत्र में जहां किसी भी प्रकार के उत्खनन की कोई वैध अनुमति नही है फिर भी इस क्षेत्र में प्रतिदिन कम से कम 20 लाख रुपये के अवैध पत्थर का उत्खनन किया जा रहा है। और हैरान करने वाली बात तो ये है कि पूरे दो नम्बर के अवैध कार्य मे न तो सत्ता दल और न ही विपक्ष का कोई बड़ा नेता संलिप्त है और न ही कोई बड़े स्तर का खनन माफिया। इस काम को अंजाम दे रहे हैं कुछ ऐसे लोग जो इस खदान से निकलने वाले पत्थर की बिक्री में से कमीशन बांट कर य पूरा खेल चला रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि फारेस्ट और जिला प्रशासनिक अधिकारियों को इसके बारे में सब पता है। मगर फिर भी कोई कार्यवाही नही होती .

मुख्यमंत्री का सजातीय होने का दिखाया डर की ओट मे अधिकारी भी इस अवैध उत्खनन में सहभागी बंद कर अपने भंडार भर रहे हैं.
मुख्यमंत्री कहते हैं कि किसी प्रकार का खनन न हो परंतु यहां उन्ही के सजातीय, उनके रसूख का टेरर दिखा रहे हैं। और दिन रात इस जंगल को छलनी कर रहे हैं। जबकि पूर्व में इस क्षेत्र में अवैध उत्खनन करने वालों पर कार्यवाहियां समय समय पर होती रही हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों से इस सजातीय कम्पनी ने यहां बागडोर संभाली है तब से न तो कोई अधिकारी क्षेत्र में भ्रमण करने जाते हैं और न ही कोई कार्यवाही इतने बड़े अवैध कार्य के विरुद्ध हो रही है। इस पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारियों तथा मैदानी कर्मियों की भूमिका संदिग्ध जान पड़ रही है।
पत्रकारों को बनाया था बंधक
इस अवैध खदान क्षेत्र में प्रतिदिन 20 लाख रुपये से ऊपर का पत्थर बेचने वाले लोगों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि वे इस क्षेत्र में अपना आतंक इस कदर जमाये हैं कि कोई परिंदा भी यहां पर नही मार सकता है।
विगत दिवस जब कुछ पत्रकारों को इस क्षेत्र में अवैध उत्खनन की शिकायतें मिलीं तो वे कबरेज करने के लिए डबिया खुटेला खदान पर गए। मगर वहां मौजूद बंदूक धारियों ने उन पत्रकारों की जमकर क्लास ले डाली। उन्हें बंधक बनाया गया और गुंडागर्दी की दम पर उनके मोबाइल व कैमरा छुड़ाने के मामला सामने आया था। और उन्हें पकड़कर खदान क्षेत्र से बाहर छोड़ दिया गया। जहां सही समय पर पुलिस के पहुंचने के बाद पत्रकारों की जान बची वरना न जाने क्या होता। हालांकि पत्रकारों ने अपना कैमरा न मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी। जिसकी खबर एक प्रतिष्ठित अखबार में भी प्रकाशित की गयी थी। इनमें एक देश के प्रतिष्ठित अखबार और दूसरा प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल का पत्रकार शामिल थे। जबकि एक कैमरा मैन भी था।
जब इन माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं की ये पत्रकारों को भी नही बक्श रहे तो फिर इनका ये अवैध उत्खनन का काम कौन रोकेगा। पत्रकार भी कहते हैं क्या शिवराज सिंह चौहान शिवपुरी के जंगलों की धरती के इस चिरते हुए सीने को बचाने की कोशिश करेंगे या सिर्फ मंचो से ही घोषणा करते रहेंगे। शायद ये भी हो सकता है कि सजातीय होने के कारण ये भोपाल तक सेटिंग करके बैठे हों।