मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की सिंगल बेंच ने गांजा तस्करी के मामले में आरोपी को जमानत देते हुए मध्य प्रदेश के DGP, IG चंबन जोन, SP मुरैना व गांजा जब्त करने वाले नूराबाद थाने के सब इंस्पेक्टर को 26 जुलाई को कोर्ट में तलब किया है। NDPS(नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट) में सैंपलिंग के दौरान सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन न करने पर कोर्ट नाराज थी।
इस मामले में कोर्ट ने कहा कि बार-बार अवगत कराने के बाद भी पुलिस अधिकारी NDPS की जांच में नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए पुलिस अधिकारियों को कोर्ट में बुलाने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है। DGP को कोर्ट में उपस्थित हो कर अब अपना स्पष्टीकरण देना होगा। क्यों पुलिस अधिकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। नियमों के पालन के लिए क्या प्रत्यत्न किए। यह आदेश न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल ने दिया है।
ऐसे समझिए पूरा मामला
चंबल पुलिस जोन के मुरैना में नूराबाद थाने ने एक सूचना के बाद कार नंबर DL03 CY-8699 को पकड़ा था। सूचना मिली थी कि इस कार में गांजे की तस्करी की जा रही है। इस सूचना पर पुलिस ने घेरा बंदी की और कार को पकड़ लिया गया था। सब इंस्पेक्टर उपेंद्र पाराशर ने गाड़ी की तलाशी ली तो उसमें 57 बैग मिले। इन बैग में 54 किलो 200 ग्राम गांजा मिला था। पुलिस द्वारा पूरा गांजा इकट्ठा कर सैंपल लिए गए। पुलिस ने गांजे के साथ तनवीर खान व इस्तार खान को गिरफ्तार किया था। तनवीर खान ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने पुलिस की सैंपलिंग पर सवाल खड़े किए कि इसकी एक व्यवस्था है। एक साथ सैंपल लेकर पुलिस ने उन्हें फंसाया है। कोर्ट ने दोषपूर्ण जांच के चलते तनवीर खान को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है और NDPS की जांच पर सवाल खड़े किए।
गांजा पकड़ने के बाद पुलिस ने क्या किया
मुरैना की नूराबाद पुलिस ने कार से गांजा पकड़ने के बाद सभी 57 पैकेट के माल को एक जगह तिरपाल बिछाकर उस पर खोल लिया और मिला दिया। इसके बाद इसमें से 100-100 ग्राम के दो सैंपल लिए गए और उनको जांच के लिए भेजा गया। पुलिस के सैंपलिंग के इसी तरीके पर कोर्ट नाराज है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार यह करना था
चर्चित नेतराम प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने सैंपल लेने की गाइड लाइन निर्धारित की है। इसमें पुलिस को सभी पैकेट्स या बोरों मंे से अलग-अलग सैंपल लेने होते हैं। यूएन किट से उनकी जांच करनी होती है। हालांकि 22 दिसंबर 2022 से अब मौके पर सैंपलिंग करने का प्रावधान ही खत्म कर दिया गया है। अब माल को मौके पर सील कर न्यायिक मजिस्ट्रेट के समझ प्रस्तुत किया जाता है और उनके समक्ष ही सैंपलिंग की कार्रवाई की जानी चाहिए। पर पुलिस ने इस मामल में ऐसा नहीं किया।