मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने दुष्कर्म के एक मामले में एफआईआर निरस्त करने का आदेश दिया है।अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ पीड़ता 1 साल से अधिक समय तक रही। 1 साल अपना अच्छा बुरा समझने के लिए पर्याप्त वक्त होता है।संबंध बनाने में महिला की सहमति थी।यह मामला सिर्फ वायदा तोड़ने का है। इसमें दुष्कर्म का कोई अपराध नहीं हुआ है। इसीलिए इसे कानून का दुरुपयोग ही माना जाएगा।यह केस चलने योग्य नहीं है। दतिया के सेंवड़ा थाने में एक महिला ने 28 जुलाई 2021 को अमर सिंह राजपूत पर दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज कराया था। उसका आरोप था, कि शादी का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया, और बाद में विवाह से मना कर दिया।
एफआईआर के खिलाफ हाईकोर्ट में अमर सिंह ने याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि महिला बालिग है।उसके तीन बच्चे हैं। वह स्वेच्छा के साथ उसके साथ रह रही थी। उसने शादी का कोई वादा नहीं किया था। अब अनुचित लाभ लेने के लिए पीड़िता ने मामला दर्ज कराया है। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुनने के बाद याचिका को स्वीकार करते हुए, एफआईआर निरस्त करने के आदेश दिए। उल्लेखनीय है, बरसों शारीरिक संबंध रहने के बाद जब किसी बात पर तकरार होती है।तो महिलाएं दुष्कर्म का प्रकरण दर्ज कराकर पुरुषों को प्रताड़ित करती हैं। इस मामले में हाईकोर्ट का यह निर्णय बड़ा महत्वपूर्ण है।