सिटी टुडे। प्रियंका गांधी का ग्वालियर दौरा प्रदेश की सत्ता एवं संगठन को कड़ी चुनौती देने के लिए बेंगलुरु अधिवेशन के बाद चुनाव के पूर्व कांग्रेस कार्यकर्ताओं एवं नेताओं का मनोबल मजबूत करने के लिए कॉंग्रेस के किसी राष्ट्रीय नेता का ग्वालियर में पहली बार आगमन होगा।
राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक कांग्रेस की ग्वालियर चंबल संभाग में भारतीय जनता पार्टी से कहीं अधिक लड़ाई केंद्रीयमंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से है शायद इसी कारण पिछले 2 महीने से कांग्रेस के प्रदेश स्तर के नेता ग्वालियर चंबल संभाग को गढ बनाकर डेरा डालते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया से घबराकर श्रीमती प्रियंका गांधी की आमसभा के माध्यम से अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी चुनौती देने का साहस कर पा रहे हैं।
क्या कभी कांग्रेस वरिष्ठ नेतृत्व में इस बात का मंथन किया कि किस शातिर नेता के कारण स्वर्गीय अर्जुन सिंह तथा हमेशा अजय रहने वाले कमलनाथ को अपने ही गढ़ में हार का मुंह देखना पड़ा था, किस शातिर दिमाग के नेता के कारण प्रदेश के 1 दर्जन से अधिक वरिष्ठ नेता हाशिये पर हैं जिससे प्रदेश की राजनीति में सिर्फ जातीय समीकरण ही प्रभावित नहीं हुए बल्कि कांग्रेस कमजोर होकर धीरे-धीरे प्रदेश की राजनीति में विकलांग होकर इस नेता के एकाधिकार में कांग्रेस संगठन प्रदेश की राजनीति में इस शातिर दिमाग की गुलाम साबित हो रही है।
अब भविष्य की राजनीति के लिए प्रदेश कॉंग्रेस ही नहीं देश में कांग्रेस को मजबूत करने के उद्देश्य से इस बात पर वरिष्ठ नेतृत्व मंथन करें कि आखिर ऐसी क्या परिस्थितियां रहीं कि राजा-महाराजा की खानदानी लड़ाई के चलते और भविष्य में अपने बेटे की राजनीति को मजबूत करने के उद्देश्य से किसने कॉंग्रेस को विकलांग बनाया।
किस शतरंज की चाल से सिंधिया को मजबूर कर दिया कि वह कांग्रेस से न सिर्फ अलविदा हो गए बल्कि कांग्रेस की निर्वाचित सरकार भी गिरा दी जिसके कारण प्रदेश ने कांग्रेस की राजनीति के अंदर भूचाल आया तथा आज की राजनीति में प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भरने के लिए प्रियंका गांधी को भी आना पड़ा।
राजनीतिक सभीक्षीको के अनुुसार अगर दिल्ली आलाकमान कांग्रेस नेतृत्व तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ इस पर गंभीरता से मंथन नहीं करेंगे जो भविष्य में जुल्म करना तथा जुल्म सहना दोनों अपराध है कि तर्ज पर कई और नेता भी सिंधिया की राह पर चल सकते हैं।