मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी की हार पर 8 दिसंबर को दोपहर 3 बजे से कांग्रेस नेताओं की दिल्ली में बैठक होने वाली है। इस बैठक में तीनों राज्यों में मिली शर्मनाक हार के कारणों की समीक्षा होगी जिसमें केंद्रीय नेतृत्व और राज्य के नेता शामिल होंगे।
प्राप्त जानकारी अनुसार कमलनाथ कांग्रेस आलाकमान के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा की पेशकश भी कर सकते है यदि ऐसा होता है तो कमलनाथ की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए कांग्रेस हाईकमान को गंभीरता से विचार करन पड़ सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे तथा सुप्रीमो श्रीमती सोनिया गांधी ने प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं को दिल्ली तलब कर मध्यप्रदेश में मिली शर्मनाक हार पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई है।
प्राप्त जानकारी अनुसार प्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं ने मध्य प्रदेश में कॉंग्रेस को मिली शर्मनाक हार के लिए दिग्विजय सिंह तथा कमलनाथ के बीच टिकट बंटवारे को लेकर विवाद के बाद बने विषम माहौल व 30 से अधिक दिग्विजय समर्थको का अन्य पार्टियों से चुनाव लड़ना, भाई भतीजावाद नीति के तहत कार्यकर्ताओं की बजाए अपने पट्ठों को टिकट दिलवाने की जिद यही नहीं पुत्रमोह के कारण अपने ही पार्टी के सजातीय वरिष्ठ नेताओं को जानबूझकर हार के मुंह में धकेल देना उदाहरण स्वरूप शिवपुरी जिले के पिछोर से विधायक केपी सिंह कक्काजू को पिछोर से हटाकर शिवपुरी से प्रत्याशी बनाकर जबरन हार की डगर में डाल दिया। राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक अगर केपी सिंह को पिछोर से ही प्रत्याशी बनाया जाता तो वह खुद तो जीतते ही साथ ही कांग्रेस को कम से कम 2 सीटों पर कॉंग्रेस प्रत्याशी को जितवाने में मदद करते जिस प्रकार कमलनाथ ने सुनिश्चित जीत के लिए पोहरी से कैलाश कुशवाहा को प्रत्याशी बनाकर जीत हासिल करने के साथ ही शिवपुरी जिले की दो सीटों पर कब्जा किया है। इसी तरह दिग्विजय सिंह की ही जिद पर सुमावली से प्रत्याशी बनाए जाने के बाद प्रत्याशी को बदलने के कारण कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा।
एक अन्य जानकारी के मुताबिक अगर दिग्विजय सिंह ने 2018 के मीणा समाज के साथ किए हुए वायदे को न निभाते हुए 2023 में चाचौड़ा विधानसभा क्षेत्र से किसी मीणा समाज के नेता को प्रत्याशी नहीं बनाया गया यदि यहाँ मीणा समाज के नेता को प्रत्याशी बनाया जाता तो कांग्रेस मीणा बाहुल्य चाचौडा विधानसभा से सुनिश्चित रूप से जीत हासिल करती।