ग्वालियर। नई शिक्षा नीति के तहत देश के प्रत्येक राज्य में भारतीय कला संस्थान की स्थापना की जाएगी। इनके जरिए भाषा, कला, संस्कृति और संगीत का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाएगा। ग्वालियर की गौरवशाली संगीत परंपरा और कला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय कला संस्थान स्थापित करने की मांग की गई है। केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शिक्षा मंत्री को पत्र लिख इसे स्थापित करने का आग्रह किया है।
देश के मूर्धन्य ग्वालियर घराने के गायक डाॅ. अरुण धर्माधिकारी तथा पुणे के प्रख्यात संगीत साधक व शास्त्रीय गायक पंडित विकास कशालकर ने केंद्रीय मंत्री सिंधिया से दिल्ली में भेंट कर गुरुकुल शोध संस्थान की रूपरेखा प्रस्तुत की।
उन्होंने सिंधिया को बताया कि ग्वालियर को यूनेस्को द्वारा संगीत की नगरी का दर्जा दिया जाना और उसके बाद प्रतिष्ठित यूनेस्को क्रिएटिव सिटी नेटवर्क का हिस्सा भी बनाया जाना ग्वालियर शहर में संगीत एवं कला की महत्वता को साफ दर्शाता है। ग्वालियर घराने की संगीत जगत में अपनी एक अलग पहचान है।
संगीत की इस परंपरा को जीवंत रखने के लिए कई उच्च श्रेणी के संगीतज्ञों, एतिहासिक महत्व एवं भौगोलिक स्थिति को दृष्टिगत रखते हुए ग्वालियर में संगीत गुरुकुल प्रारंभ करवाए जाने की स्पष्ट सलाह दी। इस गुरुकुल के प्रारंभ होने से ग्वालियर-चंबल अंचल के विद्यार्थियों को उच्च एवं गुणवत्तापूर्वक शिक्षा बड़ी सुगमता से प्राप्त हो सकेगी। साथ ही क्षेत्रीय कला एवं संगीत का भी विकास हो सकेगा।
गुरुकुल शोध संस्थान की महत्वता को समझते हुए केंद्रीय संचार मंत्री सिंधिया ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रदान को पत्र लिखकर अवगत कराते हुए संगीत सम्राट तानसेन की नगरी कहे जाने वाले ग्वालियर में नई शिक्षा नीति के अंतर्गत राज्य स्तरीय संगीत एवं कला केंद्र स्थापित कराए जाने का अनुरोध किया है। सिंधिया की सक्रियता को देख कला रसिक और संगीतज्ञों ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही ग्वालियर को भारतीय कला संस्थान की सौगात मिलेगी।