पश्चिम बंगाल की एसओजी ने जिस जय रामजी मेडिकल स्टोर के संचालक देवेंद्र आहूजा उर्फ चिंटू को गिरफ्तार किया, वह कभी 8000 रुपये की पगार पर नौकरी करता था। मगर, कुछ ही वर्षों में करोड़ों का मालिक बन गया। चर्चा है कि पूर्वांचल के एक बाहुबली के संपर्क में आने के बाद उसने नशे की दवाओं का काम बड़े स्तर पर शुरू किया। बांग्लादेश तक नशे के लिए कफ सीरप की कालाबाजारी करता था।
देवेंद्र आहूजा आगरा के प्रताप नगर का रहने वाला है। पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद दवा बाजार में चर्चाओं का बाजार गर्म है। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि देवेंद्र 10 साल पहले तक फुव्वारा की एक फर्म में नौकरी करता था। वहीं दवा बाजार के कुछ लोगों से उसकी मुलाकात हुई।
यहीं से एक दिन वह पूर्वांचल के एक बाहुबली के संपर्क में आ गया। फिर क्या था, उसने नौकरी छोड़ दी। वह नशे की दवाओं के बाजार में उतर गया। खूब पैसा कमाया। पुलिस से भी सांठगांठ हो गई। वह पकड़ा नहीं गया। उसने कई राज्यों में काम फैला दिया। उसकी अचल संपत्ति करोड़ों में बताई जा रही है। देवेंद्र के पास आधा दर्जन महंगे वाहन होने की भी चर्चा है।
…तो साझीदार ने पकड़वाया
देवेंद्र के पकड़े जाने के बाद एक और बात चर्चा में है। पहले देवेंद्र और एक अन्य मिलकर काम करते थे। सीरप, दवा व कमीशन का रेट फिक्स होता था। रेट को लेकर दोनों में विवाद हो गया। वह अलग हो गए। एक-दूसरे का माल पकड़वाने लगे। बीते दिनों गोरखपुर में पकड़ी गई खेप भी इसी का हिस्सा थी। इससे आशंका है कि देवेंद्र साझीदार की वजह से पकड़ा गया।
कोर्ट में तबीयत खराब, अस्पताल पहुंचते ही ठीक
थाना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक सुभाष चंद्र पांडेय ने बताया कि देवेंद्र आहूजा को शनिवार दोपहर को पुलिस कोर्ट लेकर पहुंची। पश्चिम बंगाल पुलिस ने सीजेएम प्रदीप कुमार सिंह की कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया। इसमें लिखा कि दवा के माफिया से पूछताछ करनी है। इसके लिए ट्राजिंट रिमांड मांगी। सीजेएम ने प्रार्थनापत्र को स्वीकार कर लिया।
उसे 29 नवंबर की शाम चार बजे तक के लिए ट्रांजिट रिमांड पर देने के आदेश किए। तभी देवेंद्र आहूजा ने तबीयत खराब होने की बात कही। अपने सीने में दर्द बताया। इस पर पुलिस उसे जिला अस्पताल लेकर आई। अस्पताल में चिकित्सक की जांच में वह फिट निकला। हालांकि उसे दवा दी गई। इसके बाद पुलिस उसे पश्चिम बंगाल लेकर चली गई।