सिटी टुडे। मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल की कवायद में मध्य प्रदेश के दो से तीन मंत्री ड्रॉप हो सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस पर भी जल्द निर्णय होगा, क्योंकि जिन्हें ड्रॉप किया जाना है।
साल 2023 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सत्ता और संगठन के हिसाब से रणनीतिक बिसात बिछानी शुरू कर दी है. राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद सबसे पहले मोदी कैबिनेट में फेरबदल (Modi Cabinet Reshuffle) की चर्चा है. इस फेरबदल में सत्ता और संगठन के चेहरों में अदला-बदली हो सकती है. चूंकि नवंबर में मध्य प्रदेश विधानसभा (MP Assembly Election 2023) के चुनाव ड्यू हैं. इस वजह से यहां से भी दो-तीन नए चेहरों को मोदी कैबिनेट में मौका मिल सकता है. हालांकि, चयन का आधार क्षेत्रीय और जातीय संतुलन होगा.
तीन मंत्री हो सकते हैं ड्रॉप
पार्टी सूत्रों का कहना है कि सत्ता और संगठन में संभावित बदलावों पर कार्यसमिति में विशेष बात नहीं हुई. इस बारे में कोर टीम के कुछ नेताओं की अलग चर्चा होने की संभावना है. इसमें मोदी कैबिनेट के संभावित फेरबदल की कवायद में मध्य प्रदेश के दो से तीन मंत्री ड्रॉप हो सकते हैं. पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस पर भी जल्द निर्णय होगा, क्योंकि जिन्हें ड्रॉप किया जाना है. उनमें से कुछ को संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है.
सुमेर सिंह सोलंकी का नाम सबसे आगे
मोदी कैबिनेट में जिन सांसदों को शामिल करने की चर्चा है, उसमें मालवा से आने वाले सुमेर सिंह सोलंकी (Sumer Singh Solanki) का नाम सबसे आगे है. इस नाम के पीछे दो बड़ी वजह है. एक तो कहा जा रहा है कि मंडला से सांसद और आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) की केंद्रीय मंत्री पद से छुट्टी हो सकती है. तो वहीं, आदिवासियों के बीच डॉ हीरालाल अलावा का संगठन ‘जयस’ लगातार अपनी पैठ बढ़ाता जा रहा है. मालवा के आदिवासी नेता को मंत्री बनाकर मोदी सरकार ना केवल आदिवासी वोटों को साधना चाहती है, बल्कि कुलस्ते की छुट्टी के बाद होने वाले असंतोष को भी थामा जा सकता है. यह बता देगी सुमेर सिंह सोलंकी राज्यसभा सदस्य हैं और बीच-बीच में उनका नाम मुख्यमंत्री पद के रूप में भी उछलता रहा है.
बुंदेलखंड-विंध्य इलाके से 3 नामों पर चर्चा
वहीं, कहा जा रहा है कि बुंदेलखंड-विंध्य इलाके से भी किसी एक नेता को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. फिलहाल यहां के 3 नाम चर्चा में है. खजुराहो के सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा (V. D. Sharma), रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा (Janardan Mishra) तथा सीधी की सांसद रीति पाठक (Riti Pathak) में से किसी एक को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. यह तीनों सांसद ब्राह्मण वर्ग से हैं. कहा जा रहा है कि इससे क्षेत्रीय और जातीय दोनों संतुलन साधना में मदद मिलेगी. यदि बुंदेलखंड-रीवा से किसी को केंद्रीय मंत्रिमंडल में नहीं लिया जाता है तो रीवा से विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला को प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है.
जबलपुर से इन दो नामों पर भी चर्चा
इसी तरह महाकौशल से भी किसी सांसद को मंत्री पद देने की बात चल रही है. जबलपुर से चार बार के सांसद राकेश सिंह (Rakesh Singh) का नाम सबसे आगे है. वहीं मोदी सरकार एक चौंकाने वाला नाम भी आगे कर सकती है. यह चौंकाने वाला नाम जबलपुर से आने वाली राज्यसभा सदस्य सुमित्रा बाल्मीकि (Sumitra Valmiki) का हो सकता है जो अनुसूचित जाति वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं. अगर सुमित्रा बाल्मीकि को मंत्रिमंडल लिया जाता है तो बुंदेलखंड के इसी वर्ष से आने वाले वीरेंद्र खटीक की छुट्टी हो सकती है.
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ज्योतिराज सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद सिंह पटेल की कुर्सी को फिलहाल कोई खतरा नहीं है. वहीं मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भी संगठन में भेजे जाने की चर्चा चल रही है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के तुरंत बाद शिवराज कैबिनेट में भी परिवर्तन होने की बात कही जा रही है.