सिटी टुडे। ज्ञान को जितना बांटा जाए उतना अधिक बढ़ता है इस बात को चरितार्थ कर रहे हैं IAS परिकिपंडला नरहरि (पी नरहरि) जो खुद तो एक IAS हैं ही बल्कि उनके पढ़ाए 400 से ज्यादा स्टूडेंट्स भी सरकारी अफसर बन गए हैं।
2001 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए पी नरहरि को पीपल्स ऑफिसर भी कहा जाता है। वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों को मोटिवेट करते हैं और तैयारी में भी हर संभव हेल्प करते हैं। मध्य प्रदेश में लागू होने वाली लाडली लक्ष्मी योजना की पूरी कहानी इन्हीं ने लिखा थी। इन्हीं को इंदौर को क्लीन सिटी बनाने का क्रेडिट भी जाता है।
पढ़ाई की कीमत वही समझता है जो सीमित संसाधनों में पढ़कर कुछ बनता है। आईएएस पी नरहरि का जन्म 1 मार्च 1975 को तेलंगाना के बसंतनगर गांव में हुआ था। इनके पिता पेशे से एक दर्जी थे, घर पर कमाई के बहुत सीमित संसाधन थे। आर्थिक स्थिति भी मजबूत नहीं थी। बावजूद इसके उन्होंने अपने लक्ष्य को पाया बल्कि अब प्रिपरेशन कर रहे जरूरतमंद युवाओं को अपने ज्ञान की ज्योति से IAS IPS के रूप में प्रज्वलित कर रहे हैं।
पी नरहरि को पीपल्स ऑफिसर भी कहा जाता है. वह सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वालों को मोटिवेट करते हैं और तैयारी में भी हेल्प करते हैं. वह एक सिविल सेवक ही नहीं एक सिंगर और लेखक भी हैं.
उन्हें 2017 में देश के 10 सबसे पॉपुलर आईएएस अधिकारियों में भी शामिल किया गया था. इसलिए कोई आश्चर्य नहीं कि इसने उन्हें उनका स्टार और हीरो बना दिया है. यूपीएससी टॉपर प्रदीप सिंह ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि उन्होंने नरहरि के काम से प्रेरित होने के बाद सिविल सेवाओं में आने का फैसला किया.