वैसे तो किसी भी विश्वविद्यालय में कुलपति सबसे ताकतवर होता है परंतु जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर के मामले में यहाँ कार्यरत मानसेवी शिक्षक ही कुलपति से भी ज्यादा ताकतवर है। इनकी नियुक्तियां नियम विरुद्ध की गई हैं यह पूर्णतः अयोग्य हैं परंतु कुलपति भी इनके विरुद्ध कार्रवाई तो दूर कलम।तक चलाने की हिम्मत नहीं कर पाते।
दिनांक 4 मार्च 2023 को जीवाजी विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर अनिल कुमार शर्मा ने सभी मान सभी मानसेवी शिक्षकों के डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू की थी। इसके लिए उन्होंने एक सूचना जारी करके सभी शिक्षकों के उनके दस्तावेज मांगे थे। इसके बाद पता नहीं क्या हुआ कि डॉ शर्मा छुट्टी पर चले गए। श्री राजीव मिश्रा को प्रभार सौंप दिया गया और पूरा मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
विश्वविद्यालय में ऐसे विशेषज्ञों को मानसेवी शिक्षक के तौर पर नियुक्त किया जाता है जिन्हें किसी कारण से नियमित शिक्षक के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता लेकिन शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए उनका कक्षा में उपस्थित होना अनिवार्य हो परंतु जीवाजी विश्वविद्यालय में ऐसे-ऐसे लोग मानसेवी शिक्षक के पद पर पदस्थ हैं जो स्वयं विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा पर प्रश्न चलने लगते हैं।
- किसी की उम्र 80 साल से अधिक है और क्लर्क का काम कर रहा है।
- किसी के पास पीएचडी की डिग्री नहीं है लेकिन कक्षा में पढ़ा रहा है।
- कुछ ऐसे हैं जिन्हें कक्षा में पढ़ाने के साथ-साथ बैक ऑफिस का काम भी दे रखा है।
- कुछ ऐसे हैं जिन्हें बार-बार हटा दिया जाता है और फिर वापस रख लिया जाता है।