मप्र में जैसे-जैसे विधानसभा चुनावों की तारीखें नजदीक आती जा रही हैं वैसे वैसे मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा जहां प्रदेश में कांग्रेस को मजबूत करने के प्रयास कर रहे हैं परंतु चुनाव नजदीक आते आते अब उनको उनके अपने ही लोग चुनौती देते नजर आ रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह हो या पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया के अलावा सज्जन वर्मा, जीतू पटवारी आपस में ही खुलेआम मीडिया के समक्ष कमलनाथ की कार्यशैली को चुनौती दे रहे हैं वही कुछ वरिष्ठ नेता जो सालों से हाशिए पर हैं कांग्रेस की इस दुर्दशा पर काफी चिंतित है हकीकत में इन सब के पीछे बंटाधार का चेहरा बताया जाता है सूत्रों अनुसार कमलनाथ इन सब को अपनी टीम का विश्वासपात्र मानते आ रहे थे इसीलिए इन की सलाह को प्राथमिकता के आधार पर मानते थे परंतु अब धीरे-धीरे उसके परिणाम कमलनाथ जी के सामने आने लगे चुनौती के रूप में प्रदेश कांग्रेस कमेटी हो या जिला संगठन की इकाइयों में ताकत देने की बात जब आती है तब यही नेता विरोध करते हैं अभी तक यह विरोध कांग्रेस के बंद गलियारों तक सीमित था परंतु 29 मई की मीटिंग के बाद अब यह विरोध सड़क से बाहर निकल कर गांव की चौपाल तक पहुंच गया. कमलनाथ से नाराज इन नेताओं ने कमलनाथ की किचन के अंदर भी दो भाग करवा दिए . राजनीतिक समीक्षकों के मुताबिक पिछले 44 साल से कमलनाथ से जुड़े निष्ठावान वफादार सहयोगी भी इस से प्रभावित होकर कमलनाथ के प्रति निष्ठावान वफादार होने के नाते काफी चिंतित बताए जाते हैं वही दूसरा भाग नाराज नेताओं की उंगलियों के इशारे पर कमलनाथ को निरंतर गुमराह करता जा रहा है जिसका असर कमलनाथ की राजनीति पर कम कांग्रेस की राजनीति पर अधिक प्रभाव छोड़कर विपक्ष को मजबूत करता जा रहा है आखिरकार कमलनाथ ही नहीं कांग्रेस आलाकमान कब सचेत होगा .