एक तरफ जहां वर्षा की कमी के कारण मध्यप्रदेश में सूखे का संकट मंडरा रहा है वहीं ऊर्जा विभाग से बिजली आपूर्ति समस्या के चलते किसान ट्यूबवेल से खेतों में खड़ी फसलों को पानी भी नहीं लगा पा रहे हैं ऐसे में वर्तमान में जो नहरे चालू भी है जिसके माध्यम से किसान अपनी फसलें सूखने से बचाने में जुटे है और जुटे भी क्यों न किसान एक एक दिन बच्चों की तरह फसल को पालता है उसकी सारी उम्मीद ही अपनी फसल पर टिकी होती हैं।
किसान भाई मलकीत सिंघेडिया ने सिटी टुडे को बताया कि गोहद क्षेत्र में जो नहरे आ रही है उनकी सफाई के लिए किसान भाई शासन से प्रशासन तक के दरवाजों पर गुहार लेकर जाते रहे ताकि सिंचाई के लिए जब नहरों से पानी लेने की आवश्यकता हो तो पानी सुलभता से खेतो तक पहुंच सके परन्तु 6 महीने बीत जाने के बाद भी जब जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों की कुम्भकर्णी नींद नहीं टूटी तो सूखे के काले बादल से खेतों में खड़ी फसलों को बचाने का बीड़ा खुद किसान भाईओ ने अपने कंधों पर उठा लिया और निकल पड़े अपने अपने ट्रेक्टर लेकर नहरों की सफाई करने।
इन्हें देखते हुए तो बहुत अच्छा लगा कि हमारे देश के किसान भाई अपने साथ साथ अन्य को भी लाभ पहुंचाकर अच्छा नागरिक होने का कर्तव्य निभा रहे हैं लेकिन दूसरा पहलू ये भी है कि शर्म आनी चाहिए जल संसाधन विभाग के लापरवाह ही नहीं भृष्ट अधिकारियों को जिन्होंने उपरोक्त विषय में किसानों के निवेदन को नजरअंदाज तो किया ही साथ ही मलकीत सिंह ने बताया कि गोहद में नहरों की सफाई नहीं कक जा रही पिछले 3 साल से इसी प्रकार किसान खुद सफाई करते हैं शासन से हर साल पैसा आता है फर्जी टेंडर बनाकर निकाल लिया जाता है इन सब की शिकायतें भी मंत्रालय में दर्ज है जिसके बाद जांच समिति का गठन तो गया लेकिन कार्रवाई के नाम पर अभी तक जीरो बटे सन्नाटा ही छाया हुया है।