ससुराल वालों के क्रिमिनल रिकॉर्ड की मांगी थी जानकारी
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कारण बताओ नोटिस किया जारी
तत्कालीन एडिशनल एसपी ग्वालियर ऋषिकेश मीणा को भोपाल किया तलब
ग्वालियर पुलिस ने व्यक्तिगत जानकारी की बात कह कर नहीं दी थी जानकारी
क्या RTI आवेदक को अपने ससुरालवालों के क्रिमिनल रिकार्ड जानने का हक़ है? राजस्थान के एक व्यक्ति ने अपनी बेटी के नाना और उनके परिवार वालों का क्रिमिनल रिकार्ड नहीं देने पर ग्वालियर पुलिस के विरुद्ध मप्र सूचना आयोग में अपील लगाई है। इस मामले में सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया कि अपने बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी को प्राप्त करना न केवल एक पैरंट का अधिकार है बल्कि बच्चे से जुड़ी उसकी जवाबदेही और जिम्मेदारी भी है।
राजस्थान के कोटा शहर के उमेश नागर ने अपने ससुराल वालों के क्रिमिनल रिकार्ड की जानकारी के लिए ग्वालियर एसपी कार्यालय में RTI लगाई थी। पर ग्वालियर पुलिस ने क्रिमिनल रिकार्ड की जानकारी को व्यक्तिगत जानकारी बताते हुए नागर को जानकारी देने से मना कर दिया। नागर ने सुनवाई के दौरान सूचना आयोग को बताया कि यह जानकारी उनके लिए बेहद जरूरी है क्योंकि उनकी बेटी की कस्टडी उनके ससुराल वालों के पास है। दरसल कोटा निवासी नागर की शादी ग्वालियर में हुई थी। पर शादी के बाद पारिवारिक मतभेद होने पर उनकी पत्नी अपनी बेटी को लेकर ग्वालियर में अपने परिवार वालों के साथ रहने लगी। डाइवोर्स और चाइल्ड कस्टडी के लिए भी मामला अदालत में चल रहा है।
आयोग ने पूछा अपराध कैसे निजी जानकारी?
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुनवाई के दौरान ग्वालियर पुलिस से यह पूछा किसी व्यक्ति का क्रिमिनल रिकॉर्ड व्यक्तिगत जानकारी कैसे हो सकती है? सिंह ने स्पष्ट किया कि कोई भी अपराध समाज के विरुद्ध किया जाता है और समाज में रहने वाले व्यक्तियों को जानने का अधिकार है कि अपराध किनके द्वारा किया जा रहा है ताकि वह अपने आप को सजग और सुरक्षित रख पाए। पुलिस के जानकारी रोकने पर सवाल उठाते हुए सिंह ने कहा कि अगर अपराध को निजी जानकारी की श्रेणी में रखा जाए तो हर अपराधी अपराध करने के बाद यह रहेगा कि उसके द्वारा किया गया अपराध उसका निजी विषय है और इसकी जानकारी किसी को न दी जाए।
बच्चे से अलग रहे पिता को क्या जानकारी लेने अधिकार है?
सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में लिखा कि ये मामला डाइवोर्स प्रकरण के चलते चाइल्ड कस्टडी और बच्चों के वेलफेयर से जुड़ा हुआ विषय है। पिता को शक है कि उनके ससुराल पक्ष के सदस्यों का क्रिमिनल रिकॉर्ड है जो कि उनके बच्चे की सुरक्षा के एवं नैसर्गिक विकास के लिए उपयुक्त नहीं है। इस जानकारी को RTI में लेकर वे अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित रखना चाहते हैं। सिंह ने कहा कि इस RTI को लेकर सवाल ये उठना है कि अपने बच्चों से अलग रह रहे पिता को क्या बच्चे के गार्जियन के क्रिमिनल रिकॉर्ड को लेने का अधिकार है या नहीं?
सूचना आयुक्त ने बताया बच्चों की सुरक्षा की जानकारी है अहम
सिंह ने कहा कि भारतीय संविधान की व्यवस्था में बच्चों के प्रति दोनों ही पेरेंट्स की सामान जवाबदेही और जिम्मेदारी बनती है। वही इस देश का संविधान बच्चों की सुरक्षा एवं उनके नैसर्गिक विकास और उनके अधिकारों की गारंटी देता है। RTI में मांगी जानकारी को पिता के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए राहुल सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों के करीब ढाई सौ से अधिक विभिन्न कानून लागू है जो बच्चों की सुरक्षा और वेलफेयर के लिए बने हुए हैं।
आयोग: बच्चों की सुरक्षा की जानकारी में पारदर्शिता जरूरी
बच्चों के सुरक्षा से जुड़े मामलों की व्याख्या करते हुए सिंह ने बताया कि संवैधानिक व्यवस्था के अंतर्गत परित सूचना का अधिकार कानून जीवन और स्वतंत्रता जैसे मूलभूत अधिकारों से भी सीधे तौर से जुड़ा हुआ है।
सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुरूप अगर कोई बच्चा खतरे में है या उसकी स्वतंत्रता या जीवन को लेकर सवाल है तो इस देश का नागरिक बच्चों से जुड़ी हुई जानकारी को जानने का अधिकार रखता है ताकि संविधान के अनुरूप बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित हो पाए।
आयोग के बाद 5 दिन में मिली जानकारी
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ग्वालियर एसपी के जानकारी रोकने के आदेश को खारिज कर दिया। आयोग से जानकारी मिलने के आदेश के बाद ग्वालियर पुलिस ने आवेदक को जानकारी प्रेषित भी कर दी है। जानकारी को अवैध तरीके से रोकने के लिए तत्कालीन एडिशनल एसपी ग्वालियर ऋषिकेश मीणा को कारण बताओं नोटिस जारी कर भोपाल तलब किया है। अब इस प्रकरण में अगली सुनवाई 15 जनवरी को होगी।