दिनांक 22 जनवरी 2024
भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार अब शिवराज के करीबी अधिकारियों की छुट्टी कर रही है। इसी क्रम में अब शिवराज सिंह के भानेज दामाद, जनसंपर्क विभाग के डायरेक्टर और आईपीएस अफसर आशुतोष प्रताप सिंह का तबादला किया गया है। वह 2010 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। शिवराज के चौथी बार सत्ता में आने के बाद से वह जनसंपर्क विभाग में डटकर मप्र की भाजपा सरकार की सरकारी योजनाओं का निजीकरण ममिया ससुर के लिए कर रहे थे। इसी कारण लंबे वक्त तक जनसंपर्क विभाग में इनकी मनमर्जी चलती रही।
जनसंपर्क विभाग में घोटालो के पुरोधा, निज स्वार्थों के लिए भाजपा के अंदर शिवराज सिंह विरोधी नेताओ ही नहीं बल्कि कई पत्रकारों की तो नियम विरुद्ध अधिमान्यता और बुजुर्ग पत्रकारों को मिलने वाली श्रद्धा निधि समाप्त कर दी थी इसके अलावा कई पत्रकारों को झूठे प्रकरणो में फंसाया गया।
विज्ञापनो मे भाई भतीजावाद, भयंकर धांधली और कमीशन का खेल सभी हदें पार कर शिखर पर पहुंच गया था। इतना ही नहीं आशुतोष प्रताप सिंह जो खुद यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे है यौन शोषण का उक्त प्रकरण न्यायालय में सुनवाई पर है।
मनीष सिंह की रवानगी के बाद अब पत्रकारों को प्रताड़ित करने वाले सिंह की कब होगी रवानगी ?
दिनांक 23 दिसम्बर 2023
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा शपथ ग्रहण करने के बाद से ही स्पष्ट हो गया था कि विवादित अधिकारी मनीष सिंह अब जल्दी ही लूपलाइन में जाएंगे यह वही मनीष सिंह है जो कांग्रेस कार्यकाल में अर्जुन सिंह के खास रहे मोती सिंह के सुपुत्र होने के साथ कांग्रेस शासन काल में ही इनकी नियुक्ति हुई थी। भाजपा शासन में भी 18 साल तक मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान की कठपुतली बनकर इंदौर नगर निगम, उज्जैन कलेक्टर, इंदौर कलेक्टर रहकर मुख्यमंत्री की किचन केबिनेट के मेंबर बनकर मैडम साधना सिंह की साधना करते रहे और इकबाल के बुलंद हौसलों के सहारे सत्ता पर हावी होकर चौहान के इशारे पर मोहन यादव, कैलाश विजयवर्गीय रमेश मैदोला, ही नहीं चौहान के भाजपा के अंदर राजनीतिक विरोधी रहे नेताओं को अपमानित तथा प्रताड़ित करने के साथ उनको कई विवादों-आरोपों में घेरने का षड्यंत्र यही मनीष सिंह करते थे। यह वही मनीष सिंह है जो भ्रष्टाचार के साथ-साथ अपने वरिष्ठ अधिकारियों को भी अपमानित करने में बाज नहीं आते थे। मुख्यमंत्री के नए प्रमुख सचिव बने राघवेंद्र सिंह भी इसे परेशान रहे।
मनीष सिंह की रवानगी के बाद अब जनसंपर्क विभाग को किसी पुलिस थाने की तर्ज पर चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भानेज दामाद आईपीएस आशुतोष प्रताप सिंह संचालक जनसंपर्क विभाग जो असली घोटालेबाज होकर पत्रकारों को प्रताड़ित करने के साथ साथ कई पत्रकारों का शोषण कर अपने स्वार्थो के लिए शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक विरोधियों तथा उनके विरोधी पत्रकारों को भी परेशान करने के साथ कई पत्रकारों के नियम विरुद्ध अधिमान्यता और श्रद्धा निधि समाप्त करने के अलावा कई पत्रकारों को पुलिस के झूठे प्रकरणो में फंसाया गया। हकीकत में शिवराज सिंह चौहान ने अपने इस रिश्तेदार को जनसंपर्क विभाग में भाजपा की नहीं खुद के लिए काम करने के लिए तैनात किया था। विज्ञापनो मे भाई भतीजावाद, धांधली, कमीशन का खेल, हदें पार कर अब तो शिखर पर पहुंच गया था। इतना ही नहीं आशुतोष प्रताप सिंह जो खुद यौन शोषण के आरोपों से घिरे होकर भोपाल जिला न्यायालय में यौन शोषण प्रकरण का सामना कर रहा है उसके बावजूद भी इन्हें अभी तक जनसंपर्क विभाग से क्यों नहीं रवानगी दी गई? सूत्रो अनुसार वह अभी भी अपने जनसंपर्क विभाग में काले कारनामों (विज्ञापन तथा सर्वेक्षण के नाम पर किए गए करोड़ों रुपए के भुगतान) को रफा दफा करने में लगे हैं।