
नगर निगम ग्वालियर में आउटसोर्स भर्ती (ठेके पर रखे गये कर्मचारी) का महाघोटाला ठीक वैसे ही ही जैसे मध्यप्रदेश में व्यापमं घोटाला हुआ था। आउटसोर्स घोटाले में बेरोजगार युवाओं से 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक वसूलकर उन्हें और बेरोजगार कर दिया है। गड़बड़ी और घोटाले के तार न केवल अपर आयुक्त अतेन्द्र गुर्जर, उनके यहां पदस्थ कर्मचारी धर्मेन्द्र भदौरिया, अपर आयुक्त मुकुल गुप्ता, उपायुक्त प्रदीप श्रीवास्तव, कार्यालय अधीक्षक प्रभाकर द्विवेदी, कथित पीआरओ मधु सोलापुरकर, विष्णु पाल, विशाल जाटव से जुड़े हैं बल्कि आउटसोर्स पर सेवाएं दे रहीं सेंगर सिक्योरिटी, राज सिक्योरिटी और शर्मा सिक्योरिटी एजेन्सी भी इस महाघाटाले में शामिल हैं और नगर निगम आयुक्त चुप्पी साध गये हैं। इस महाघोटाले में पूर्व में पदस्थ रहे एक पूर्व आयुक्त दो अपर आयुक्त भी जुड़े हैं। व्यापमं जैसा घोटाला कर सरकार को ऐसे समय में बदनाम करने का प्रयास किया है जब अगले साल चुनाव होना हैं।
अप्रैल में ही घोटाले का चला था पता
नगर निगम आयुक्त किशोर कान्याल इस आंच की लपटों से बचने का भले ही प्रयास कर रहे हैं, लेकिन इस घोटाले से उन्हें अप्रैल 2022 में ही अवगत करा दिया था। आश्चर्य यह रहा कि उनके अधिनस्थ अधिकारी खेला करते रहे और निगमायुक्त फाइलों पर हस्ताक्षर करते रहे। घूसघोरी में डूब चुके लेखा शाखा के जिम्मेदार अधिकारी, कर्मचारी कमीशन लेकर भुगतान को मंजूरी देते रहे। सूत्रों अनुसार इस घोटाले पर पर्दा डालने के लिए नगर निगम आयुक्त किशोर कन्याल की अघोषित निर्देश पर कथित पीआरओ मधु सोलापुरकर स्वयं को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास कर रहे हैं परंतु उनके इन प्रयासों को संभवत सफलता न मिले।
घोटाले के आरोपियों से ही करा रहे जांच
इस मामले में निगमायुक्त की भूमिका इसलिए संदिग्ध है कि यह स्पष्ट हो चुका है कि यह महाघोटाला है फिर भी उन्होंने जांच कमेटी में ऐसे लोग शामिल किये हैं जिनमें से कुछ इस घोटाले के संदेही हैं। दूसरा संदेह यह है कि अदने से कर्णचारियों की जांच कमेटी बनाई है जबकि आरोपियों में बड़े-बड़े अधिकारी शामिल हैं। ऐसे में क्या यह कमेटी उनसे पूछताछ की हिम्मत जुटा सकेगी।
महाघोटालेबाज शर्मा सिक्योरिटी
सरकार ने यदि उच्च स्तरीय जांच कराई तो इसमें सिक्योरिटी एजेन्सियों की ऐसी पर्तें खुलेंगी, जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाएगा। सबूत के तौर पर केवल शर्मा सिक्यूरिटी एजेन्सी के कागजों की ही जांच करा ली जाये। इस फर्म ने इसी साल अप्रैल से नगर निगम में सिक्योरिटी गार्ड की सेवाएं दी हैं। इस फर्म का फर्जीवाड़ा जीवाजी यूनिवर्सिटी में देखा जा सकता है। जेयू में कई जांचों में इस फर्म का फर्जीवाड़ा उजागर हुआ लेकिन मैनेजमेंट में माहिर इसके कर्ताधर्ता अब तक बचे हैं।

इनका कहना है
नौकरी के नाम पर बेरोजगारों को ठगा है, यह कृत्य निंदनीय हैं। इस घोटाले की एक-एक परत खोलेंगे और कितना भी बड़ा अधिकारी हो, जो दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई कराकर ही छोड़ेंगे।
डॉ. शोभा सतीश सिकरवार, महापौर