Sting on Indian Railways: ट्रेनों के एसी कोच में गंदी चादरों की सप्लाई के मामले में नवभारत गोल्ड के स्टिंग के बाद रेलवे के जिम्मेदार अफसरों की नींद अब टूटने लगी है। रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि स्टिंग से मिली जानकारियों की तस्दीक करने के लिए उनकी टीम नोएडा की लाउंडरेड्स कंपनी में गई। उन्हें वहां लगे सीसीटीवी कैमरे खराब मिले। इसका जिक्र स्टिंग वाली रिपोर्ट में भी किया गया था। इस बारे में हमने रेलवे के सीपीआरओ दीपक कुमार से भी बात की। उन्होंने बताया कि कि इस मामले में एक जांच कमिटी बनाई गई है, उसकी रिपोर्ट के आने के बाद ही वह कुछ कहेंगे।
अगर लॉन्ड्री के सीसीटीवी कैमरों की बात करें, तो वे अनायास खराब नहीं थे। उन्हें खराब करने का मकसद था कि जिस तरह से वहां इस्तेमाल की गई चादरों को बिना धुले प्रेस करके पैक कर दिया जाता है, उसका कोई सबूत न रहे।
अब रेलवे ने कंपनी के जिम्मेदार लोगों को फटकार लगाई गई है। उनसे कहा गया है कि जहां चादरें धुली और प्रेस की जाती हैं, उन सभी जगहों पर कैमरे लगाए जाएं। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी के अंदर लगे सीसीटीवी कैमरे की निगरानी डीआरएम ऑफिस से की जाएगी। इस काम को जिम्मेदार अफसर खुद देखेंगे। साथ ही, रेलवे के दो कर्मचारी फैक्ट्री में दिन-रात ड्यूटी भी करेंगे।
एक ही कंपनी को चार डिपो का काम
एसी कोच में गंदी चादरें दिए जाने के मसले को समझने के बाद यह भी जान लेते हैं कि उनकी धुलाई का काम कैसे कराया जाता है। रेलवे की नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, आनंद विहार और सराय रोहेला डिपो के ट्रेनों में इस्तेमाल चादरों की धुलाई ठेका लाउंडरेड्स कंपनी के पास है। पिछले करीब 15 साल से यही कंपनी चादरों की धुलाई कर रही है। हैरानी की बात है कि रेलवे को गंदी चादरों से जुड़ी शिकायतें पूरे साल मिलती रहती हैं। फिर भी रेलवे अफसर ठेकेदार के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेते। इसके बजाय हर साल टेंडर इसी कंपनी को दे दिया जाता है।