भोपाल । प्रदेश के किसी भी सरकारी निकाय में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। हाईकोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के सितंबर 2021 में जारी उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें निकायों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ नियुक्ति दिए जाने के निर्देश थे। आदेश हाईकोर्ट के जस्टिस शील नागू और जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की खंडपीठ ने पारित किया।
मामले में यूथ फॉर इक्वेलिटी संगठन की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका जीएडी के सितंबर 2021 के उस सर्कुलर से जुड़ा है, जिसमें निर्देश दिया गया है कि राज्य या उसके संबद्ध निकायों की भर्ती प्रक्रियाएं आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित करने वाले किसी भी अंतरिम न्यायिक आदेश से बाधित नहीं है। प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत का बढ़ा हुआ आरक्षण दिया जा सकता है।
आरक्षण की सीमा सभी के लिए बाध्यकारी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए और यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत देश का कानून है और राज्य और उसके पदाधिकारियों सहित सभी पर बाध्यकारी है। कोर्ट ने कहा, अंतरिम राहत के रूप में यह निर्देशित किया जाता है कि जीएडी, मप्र सरकार की ओर से ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण की अनुमति देने वाले दो सितंबर 2021 के लागू कार्यकारी निर्देशों का संचालन और प्रभाव सुनवाई की अगली तारीख तक स्थगित रहेगा।
अंतरिम आदेश पर दलील
याचिकाकर्ताओं ने जीएडी के सर्कुलर को असंवैधानिक बताते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्देश पर अंतरिम आदेश पारित करने का अनुरोध किया। इस पर शासन के पक्ष ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि मुद्दा सेवा से संबंधित है। वहीं यह भी बताया कि 20 सितंबर 2021 के कोर्ट के आदेश के अनुसार अंतरिम राहत पहले ही दी जा चुकी है। कोर्ट ने पाया कि याचिका निर्देश को लेकर है, उस पर अंतरिम आदेश पारित नहीं हुआ है।