December 24, 2024
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संन्यास के बाद नर्मदा यात्रा पर निकले दिग्विजय सिंह ने भी इस धार्मिक यात्रा के माध्यम से जहां धार्मिकता का मजबूत चोला ओढने की कार्य योजना को सफल बनाना परंतु किसी भी दल के नेता तथा मतदाता नहीं भूले के यह वही दिग्विजय सिंह हैं जिन्होंने बटाला कांड या महाराष्ट्र का करकरे प्रकरण में राष्ट्र विरोधी बयान तथा समर्थन के बाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान देश की एकता एवं अखंडता को बरकरार रखने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक पर केंद्र सरकार तथा भारतीय सेना के जवानों पर ही नहीं आम भारत के सम्मानीय मतदाताओं को भी कटघरे में खड़ा दिया जिन्होंने देश की एकता एवं अखंडता को कायम रखने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक का समर्थन किया था अब आप खुद सोचें की दिग्विजय सिंह के ऐसे बयानों से राष्ट्र विरोधी तत्वों को मजबूत कर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के मकसद को अभी भटका कर मतदाताओं की मानसिकता को कांग्रेस के विरुद्ध देश में माहौल बनाने का क्या सार्थक सार्थक प्रयास नहीं किया ?
बात अतीत की करें अर्थात 2018 विधानसभा चुनावों की तो इसी दिग्विजय सिंह ने अपने वरिष्ठ तथा समकक्ष ऐसे सभी वरिष्ठ नेताओं को कुचलने में सफलता अर्जित की जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे परंतु उनके राजनीतिक प्रहार तथा शतरंज की चाल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरुद्ध दिग्विजय सिंह की टीम में कमलनाथ टीम भी शामिल हो गई किस तरह मध्यप्रदेश में सिंधिया के चेहरे को आगे रखकर कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका तो मिल गया परंतु दिग्विजय सिंह ने पलटी मारते ही कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनवाने के साथ अपने पुत्र जयवर्धन सिंह को जो पहली बार के विधायक बने थे सीधा कैबिनेट मंत्री बनवाकर महत्वपूर्ण विभाग दिलवा दिया. ज्ञात हो कि 1980 में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह को दूसरी बार का विधायक होने के बावजूद राज्यमंत्री ही पहली बार बनाया था.
कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनते ही पिता का अगला लक्ष्य पुत्र को मुख्यमंत्री बनवाने का प्रयास शुरू हो गया इन्हीं प्रयासों के तहत कांग्रेस की दूसरी लाइन के नेता जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार बन सकते थे उनको भी राजनीतिक रूप से कुचलने में दिग्विजय सिंह टीम को कमलनाथ के कंधे का सहारा लेकर सफलता मिली.
मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह ने मिलकर जिस प्रकार प्रदेश के अन्य नेताओं को राजनीतिक शतरंज के तहत पीछे धकेल दिया उसी प्रकार इन दोनों ने मिलकर राजनीतिक रूप से श्री सिंधिया को न केवल आतंकित करना शुरू किया बल्कि जिस चेहरे से सरकार बनाई थी वादों को भूल कर उसी सिंधिया को राजनीतिक रूप से परेशान करने के साथ व्यापारियों एवं किसानों की समस्याओं को भूलकर प्रदेश में सरकार का नहीं, संगठन का नहीं, खुद के खजाने भरने के लिए वसूली अभियान मंत्रालय से ही शुरु कर दिया. सूत्रों अनुसार इन सब बातों से आहत होकर जब सिंधिया को महसूस होने लगा कि उनके साथ दोहरा छलावा किया जाकर मतदाताओं में भी सिंधिया को बदनाम करने का प्रयास कमल दिग्विजय सिंह की टीम ने शुरू कर दिया तो सिंधिया ने अपनी ही सरकार को जनहित एवं मतदाताओं किसान एवं व्यापारियों की मांगों को लेकर कांग्रेसी नेतृत्व को बताया तो नेतृत्व भी कमलनाथ दिग्विजय टीम के सामने बोना साबित हुआ तब सिंधिया ने सरकार को ललकारा तब इनकी टीमों ने मिलकर सिंधिया को चुनौती दी अगर हमारे खिलाफ बात करोगे तो हम सड़कों पर ला देंगे, इस चुनौती को भी सिंधिया ने जनहित मे स्वीकार किया तो सिंधिया ने कांग्रेस सरकार को अर्थात दिग्विजय सिंह कमलनाथ टीम को सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया। भारतीय जनता पार्टी में आमद देकर प्रदेश में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी की सरकार जनहित में बनवाई जिसे कमलनाथ दिग्विजय सिंह दल बदलू कहते हैं हकीकत में सिंधिया परिवार जनहित में जो करता है उजागर करता है परंतु कमलनाथ दिग्विजय सिंह राजनीतिक शतरंज के तहत जनहित तथा संगठन से ऊपर उठकर अपने स्वार्थ पहले देखते हैं शायद इसी कारण कांग्रेस की पहली एवं दूसरी लाइन के प्रदेश के 2 दर्जन से अधिक नेता हाशिए पर होने के बावजूद भी संगठन हित में सक्रिय तो हैं परंतु उनकी भी कोई इस टीम में कोई पूछ परख नहीं तब कांग्रेस कार्यकर्ता की अहमियत क्या होगी क्या वह किस मनोबल से मतदाता के बीच पहुंचकर कांग्रेस के पक्ष में वोट बनेगा आप खुद समझ सकते हैं परंतु सर्जिकल स्ट्राइक के बयान के बाद कांग्रेस नेतृत्व की आंखें नहीं खुली तो हमारे राधे के श्याम की पारीख रूपी बात साबित हो जाएगी कि दिग्विजय सिंह भले ही r.s.s. के विरोध में बयान देते हैं परंतु वह आर एस एस के पुराने कार्यकर्ता होकर आर एस एस की कार्यशैली से काम करते हुए कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं.
हमारे राधे की शांति पारेख रूपी बात में दम भी है क्योंकि पूर्व विदिशा लोकसभा चुनाव में स्वर्गीय सुषमा स्वराज को जितवाने के लिए कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल को किस नाटक के तहत चुनाव से बाहर करवा कर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी की जीत का रास्ता सार्थक बनाया था उसके बाद 2008 विधानसभा चुनावी दिग्विजय सिंह की टीम की शतरंज चालें ही प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवा सकी जो आज दिन तक है.
स्वस्थ लोकतंत्र के लिए विपक्ष मजबूत होना आवश्यक है परंतु विपक्ष के कुछ नेता कांग्रेस नेतृत्व के विरुद्ध गाइडलाइन से चलकर देश में विपक्ष को ही नहीं कांग्रेस को भी कमजोर कर रहे हैं इसके बावजूद भी कांग्रेस नेतृत्व किस मजबूरी के कारण दिग्विजय सिंह का कद निरंतर संगठन में बढ़ाते हुए कांग्रेस के निष्ठावान नेताओं कार्यकर्ताओं को अपनी टीम के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कुचलता जा रहा है तथा भारत जोड़ो यात्रा में यही दिग्विजय सिंह टीम सोनिया गांधी राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी के साथ कदम ताल मिलाकर साए की तरह चलने से देश के मतदाताओं को कांग्रेस के खिलाफ दिग्विजय सिंह की इस कार्यशैली के कारण मानसिकता बनाने का पर्दे के पीछे कोई शतरंज की चाल तो नहीं.? हमें जो हमारे राधे के श्याम की पारीख रूपी बात सच लगती है शेष अगले अंक में

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